भारत के महत्वपूर्ण त्यौहार - प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

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भारत विविधताओं का देश है, और यहां के त्यौहार उसकी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भारत के महत्वपूर्ण त्यौहार से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, इसलिए इनके बारे में जानकारी होना जरूरी है। इस लेख में हम भारत के प्रमुख त्यौहारों पर चर्चा करेंगे, जो विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत के महत्वपूर्ण त्यौहार / Indian Festival
भारत के महत्वपूर्ण त्यौहार / Indian Festival

जलीकट्टू त्यौहार किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- तमिलनाडु (जलीकट्टू तमिलनाडु का एक प्राचीन और प्रमुख त्यौहार है, जिसे पोंगल के दौरान मनाया जाता है। यह विशेष रूप से मत्तू पोंगल के दिन मनाया जाता है, जो किसानों द्वारा अपने मवेशियों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए समर्पित है। इस त्यौहार में सांडों को काबू में करने की प्रतियोगिता होती है, जिसे साहस, शक्ति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। जलीकट्टू तमिल संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, और इसे कृषि संस्कृति और मवेशियों की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।)

स्पितुक गेस्टर फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- लद्दाख (स्पितुक गेस्टर एक महत्वपूर्ण बौद्ध त्योहार है जो लद्दाख के लेह क्षेत्र के स्पितुक मठ में हर साल जनवरी या फरवरी में मनाया जाता है। यह त्योहार तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुरूप बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस उत्सव के दौरान, बौद्ध भिक्षु पारंपरिक मुखौटे पहनकर धार्मिक नृत्य करते हैं जिन्हें 'चाम नृत्य' कहा जाता है। यह नृत्य बौद्ध धर्म के रक्षक देवताओं की कहानियों का प्रतिनिधित्व करता है। स्पितुक गेस्टर त्योहार आध्यात्मिक उन्नति और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का अवसर है, और स्थानीय लोग इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।)

बोनालु महोत्सव किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- तेलंगाना (बोनालु महोत्सव तेलंगाना राज्य, विशेषकर हैदराबाद और सिकंदराबाद में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह महोत्सव देवी महाकाली को समर्पित होता है और जुलाई-अगस्त के महीने में मनाया जाता है। बोनालु का शाब्दिक अर्थ 'भोजन' है, और इस दिन लोग देवी को भोजन और प्रसाद अर्पित करते हैं। माना जाता है कि यह त्यौहार 19वीं शताब्दी में प्लेग महामारी के दौरान देवी महाकाली से प्रार्थना करने के लिए शुरू हुआ था, ताकि महामारी को नियंत्रित किया जा सके। लोग सजाए गए बर्तनों में भोजन भरकर देवी को चढ़ाते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।)

बैसाखी उत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- पंजाब (बैसाखी मुख्यतः पंजाब और हरियाणा में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है, जो फसल कटाई का प्रतीक है। इसे हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है, जब रबी की फसल तैयार होती है। यह किसानों के लिए आभार प्रकट करने का समय होता है। इसके साथ ही, बैसाखी का धार्मिक महत्त्व भी है, क्योंकि 1699 में इस दिन सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसलिए यह सिख समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।)

बंगस वैली फेस्टिवल किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- जम्मू - कश्मीर (बंगस वैली फेस्टिवल जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित खूबसूरत बंगस घाटी में मनाया जाता है। यह उत्सव क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक कला, संगीत, और स्थानीय रीति-रिवाजों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है। इस फेस्टिवल का उद्देश्य घाटी की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन को प्रोत्साहित करना भी है। साथ ही, यह स्थानीय निवासियों के बीच आर्थिक विकास और सामाजिक एकता का प्रतीक माना जाता है, जिससे कुपवाड़ा को पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान मिलता है।)

नवरोज त्यौहार किस समुदाय द्वारा मनाया जाता है ?

:- पारसी समुदाय द्वारा (नवरोज पारसी समुदाय का प्रमुख त्यौहार है, जो उनके नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इसे "ज़रथुश्त्र धर्म" के अनुयायी मनाते हैं। नवरोज का अर्थ है "नया दिन," और यह मुख्य रूप से 21 मार्च को मनाया जाता है, जब वसंत ऋतु का आगमन होता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, प्रार्थनाओं में शामिल होते हैं, और अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं। नवरोज प्राकृतिक पुनर्जन्म और नई उम्मीदों का त्यौहार है, जो समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देता है।)

अंडुरी मक्खन फेस्टिवल किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- उत्तराखंड

नवरेह त्यौहार कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्मू - कश्मीर (नवरेह जम्मू-कश्मीर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार वसंत पंचमी के दिन होता है और नए साल की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। नवरेह का उद्देश्य नए वर्ष के स्वागत और समृद्धि की कामना करना होता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। नवरेह पर पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं और परिवारिक एकता और खुशहाली की कामना की जाती है। यह त्यौहार कश्मीरी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।)

श्रावणी मेला किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- झारखंड (श्रावणी मेला, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से बिहार और झारखंड में बहुत धूमधाम से आयोजित किया जाता है। यह मेला भगवान शिव की पूजा के अवसर पर मनाया जाता है, जहां शिवभक्त कांवर लेकर गंगा नदी से जल लाकर बाबा भोलेनाथ की पूजा करते हैं। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस मेले का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करना है, और यह धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।)

केर / खार्ची पूजा किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- त्रिपुरा (खार्ची पूजा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो विशेषकर त्रिपुरा राज्य में मनाया जाता है। यह पूजा चौदह देवताओं की पूजा के रूप में आयोजित की जाती है और इसका उद्देश्य राज्य की खुशहाली और समाज की रक्षा करना होता है। खार्ची पूजा के दौरान, लोग विशेष धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, और विभिन्न अनुष्ठानिक क्रियाओं के माध्यम से प्रकृति और आध्यात्मिक शक्तियों की पूजा की जाती है। यह त्यौहार आषाढ़ महीने के दौरान आयोजित होता है और इसे एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव माना जाता है जो स्थानीय परंपराओं और विश्वासों को प्रदर्शित करता है।)

कम्बाला फेस्टिवल किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- कर्नाटक (कम्बाला फेस्टिवल दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटका में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः भद्रावती और उडुपी जिलों में प्रसिद्ध है। कम्बाला का आयोजन प्रत्येक वर्ष नवंबर या दिसंबर में होता है और यह मुख्यतः बैल और किसान के बीच की दौड़ के रूप में होता है। इस त्यौहार का उद्देश्य खेतों में बैल की ताकत और कौशल को मान्यता देना और कृषि में उनके योगदान को सम्मानित करना है। कम्बाला के दौरान, बैल को विशेष प्रकार की दौड़ के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें बैल और किसान एक साथ दौड़ते हैं। यह त्यौहार कर्नाटका की कृषि संस्कृति और पारंपरिक खेलों का प्रतीक है, जो गांवों की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।)

दुर्गापूजा किस राज्य का एक मशहूर त्यौहार है ?

:- पश्चिम बंगाल (दुर्गापूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जो विशेष रूप से बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्यौहार मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति, साहस और विजय की देवी मानी जाती हैं। दुर्गापूजा के दौरान, मां दुर्गा की पूजा कर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हुए, भक्त उनके भव्य पंडालों और मूर्तियों की पूजा करते हैं। यह त्यौहार नवरात्रि के अंतिम दिन मनाया जाता है और इसमें मां दुर्गा की नौ दिनों की पूजा और अंतिम दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण की हार के प्रतीक रूप में विसर्जन किया जाता है। इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य अच्छाई की विजय और बुराई के नाश की खुशियाँ मनाना है।)

सरहुल महोत्सव किस राज्य द्वारा मनाया जाता है ?

:- झारखण्ड (सरहुल महोत्सव विशेष रूप से झारखंड और बिहार के आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार सारणा या सारहुल के नाम से भी जाना जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी माता और वन देवताओं की पूजा करना होता है। सरहुल महोत्सव वसंत ऋतु के आगमन के साथ मनाया जाता है, जो फसल की खुशहाली और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के प्रतीक के रूप में होता है। इस दिन आदिवासी लोग पारंपरिक गीत, नृत्य और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था को सशक्त किया जाता है। यह महोत्सव सामुदायिक एकता और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की भावना को भी प्रकट करता है।)

ट्यूलिप महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्-मूकश्मीर (ट्यूलिप महोत्सव हर साल श्रीनगर, कश्मीर में मनाया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करना है। यह महोत्सव आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आयोजित होता है, जब शालीमार बाग और अन्य बागों में ट्यूलिपों की खिली हुई क्यारियां अपनी पूर्णता पर होती हैं। इस दौरान, पर्यटक और स्थानीय लोग रंग-बिरंगे ट्यूलिप फूलों का आनंद लेते हैं, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। यह महोत्सव कश्मीर की सौंदर्यात्मक अपील को बढ़ावा देने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।)

मरू महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- राजस्थान (मरू महोत्सव राजस्थान के जैसलमेर में मनाया जाता है, जिसे "स्वर्ण नगरी" के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और लोक कला को जीवंत रूप से प्रस्तुत करता है। मरू महोत्सव का आयोजन हर साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर होता है और इसका मुख्य उद्देश्य राजस्थान के रेगिस्तानी जीवन, लोक संगीत, नृत्य और ऊंट की दौड़ जैसी पारंपरिक गतिविधियों का प्रदर्शन करना है। इस फेस्टिवल में पर्यटक और स्थानीय लोग उत्साहपूर्वक हिस्सा लेते हैं, जो राजस्थान की जीवंत संस्कृति का अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।)

अम्बुबाची फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- असम (अम्बुबाची फेस्टिवल असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। यह त्यौहार मॉनसून के आगमन के समय देवी कामाख्या के मासिक धर्म चक्र का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान माँ धरती (देवी कामाख्या) की उर्वरता शक्ति जाग्रत होती है, जिससे कृषि और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। इस त्यौहार के दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों के लिए बंद रहते हैं, और चौथे दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष पूजा-अर्चना के साथ मंदिर खोला जाता है। अम्बुबाची मेले में हजारों श्रद्धालु देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शामिल होते हैं।)

नुआखाई महोत्सव किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- ओडिशा (नुआखाई महोत्सव ओडिशा और छत्तीसगढ़ के पश्चिमी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से मनाया जाने वाला एक कृषि पर्व है। यह फसल कटाई का त्यौहार है, जिसमें नई फसल की पहली उपज भगवान को अर्पित की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। "नुआ" का अर्थ होता है नया और "खाई" का अर्थ है खाना, यानी इस दिन नई फसल का आनंद लिया जाता है। यह त्यौहार किसानों की मेहनत का उत्सव है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।)

हेमिस महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- लद्दाख (हेमिस महोत्सव लद्दाख के प्रमुख बौद्ध त्यौहारों में से एक है, जिसे हर साल जून या जुलाई में मनाया जाता है। यह महोत्सव तिब्बती बौद्ध धर्म के गुरु पद्मसम्भव (गुरु रिनपोचे) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय दिया जाता है। हेमिस मठ, जो लद्दाख का सबसे बड़ा और समृद्ध मठ है, इस महोत्सव का मुख्य स्थल होता है। महोत्सव के दौरान, बौद्ध भिक्षु पारंपरिक मुखौटे पहनकर नृत्य करते हैं, जिसे चाम नृत्य कहा जाता है। यह महोत्सव बौद्ध धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।)

जगनाथ रथ यात्रा कहाँ मनाया जाता है ?

:- ओडिशा (जगन्नाथ रथ यात्रा उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की वार्षिक यात्रा है। यह त्यौहार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपनी बहन और भाई के साथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर यात्रा करते हैं, जो उनकी मौसी का घर माना जाता है। रथ यात्रा को भगवान के भक्तों के साथ जुड़ने का पर्व माना जाता है, और इस दौरान लाखों श्रद्धालु रथ को खींचने के लिए जुटते हैं, जिससे उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।)

लैवेंडर फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्मू कश्मीर (लैवेंडर फेस्टिवल मुख्य रूप से लैवेंडर फूलों की खेती और उनकी सुगंधित विशेषताओं को मनाने के लिए आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार खासकर उन क्षेत्रों में मनाया जाता है जहां लैवेंडर की खेती बड़े पैमाने पर होती है, जैसे कि फ्रांस का प्रोवेंस क्षेत्र और भारत में जम्मू-कश्मीर का भद्रवाह क्षेत्र। इस फेस्टिवल का उद्देश्य स्थानीय खेती को प्रोत्साहित करना, लैवेंडर से बने उत्पादों का प्रदर्शन करना, और पर्यटकों को आकर्षित करना होता है। फेस्टिवल के दौरान लैवेंडर के विभिन्न उपयोग, जैसे सुगंधित तेल, सौंदर्य उत्पाद और औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी जाती है।)

गंगा पुष्कररेलु उत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- वाराणसी

गज उत्सव किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- असम (गज उत्सव हाथियों के संरक्षण और उनके महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है। यह उत्सव वन्यजीव संरक्षण संस्थाओं और सरकार द्वारा मिलकर आयोजित किया जाता है ताकि लोगों में हाथियों के प्रति जागरूकता बढ़े। हाथी न केवल भारतीय वन्यजीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गज उत्सव के दौरान हाथियों के संरक्षण, उनके आवास की सुरक्षा, और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।)

लक्खी मेला कहाँ मनाया जाता है ?

:- राजस्थान (लक्खी मेला राजस्थान के पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मनाया जाता है। इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व का मेला माना जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र पुष्कर झील में स्नान कर भगवान ब्रह्मा की पूजा करते हैं। यह मेला पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए भी प्रसिद्ध है, विशेषकर ऊंटों के लिए। धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मेलों के साथ यह त्यौहार आध्यात्मिकता और ग्रामीण जीवन की झलक प्रस्तुत करता है, जो राजस्थान की समृद्ध परंपराओं का हिस्सा है।)

सियान उनिंग महोत्सव किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- अरुणाचल प्रदेश (सियान उनिंग एक महत्वपूर्ण पर्व है जो मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत के मिज़ो समुदाय द्वारा मनाया जाता है। इसे सियान भी कहा जाता है। यह त्यौहार अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है और मुख्य रूप से फसल की कटाई के अवसर पर आयोजित किया जाता है। सियान उनिंग का मुख्य उद्देश्य ईश्वर को फसल की अच्छी पैदावार के लिए धन्यवाद अर्पित करना है और स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर खुशी का इजहार करना है। इस दौरान पारंपरिक नृत्य, गीत और भव्य भोजन का आयोजन होता है, जो सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करता है।)

फुलीच फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- हिमाचल प्रदेश

आदिपुरम त्यौहार कहाँ मनाया जाता है ?

:- तमिलनाडु (आदिपुरम एक महत्वपूर्ण तमिल त्यौहार है जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से भगवान गणेश और देवी अंबल की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। आदिपुरम का आयोजन तमिल मास के पहले दिन, जिसे "आदि" कहा जाता है, पर किया जाता है। इस दिन, भक्त गणेश और अंबल की पूजा करके समृद्धि और भाग्य की प्राप्ति की कामना करते हैं। त्यौहार के दौरान विशेष पूजा विधियां, भजन कीर्तन, और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो समुदाय की एकता और धार्मिक भक्ति को प्रकट करते हैं।)

पोइला बोइशाख त्यौहार कहाँ मनाया जाता है ?

:- पश्चिम बंगाल (पोइला बोइशाख बंगाल का प्रमुख त्यौहार है, जिसे हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह त्यौहार बांग्ला नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और इसे "बांग्ला नववर्ष" भी कहा जाता है। पोइला बोइशाख के दिन लोग नए वस्त्र पहनकर, मिठाइयों का आनंद लेकर और अपने घरों को सजाकर स्वागत करते हैं। इस दिन व्यापारी नई किताबों में नए लेन-देन को दर्ज करके अपने कारोबार की शुरुआत करते हैं। यह त्यौहार खुशहाली, समृद्धि और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जिसमें लोग एक साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं और पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।)

माधवपुर मेला किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- गुजरात (माधवपुर मेला भारतीय राज्य गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के माधवपुर गांव में मनाया जाता है। यह मेला विशेष रूप से हिंदू देवता माधव (भगवान विष्णु के अवतार) की पूजा और सम्मान में आयोजित किया जाता है। यह त्यौहार हर साल वैशाख शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक महत्वपूर्णता के लिए जाना जाता है। मेले के दौरान, लोग पवित्र स्नान करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और विभिन्न पारंपरिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में मदद करते हैं।)

हरेला त्यौहार किस राज्य में मनाया जाता है ?

:- उत्तराखंड (हरेला एक पारंपरिक पर्व है जिसे विशेष रूप से उत्तराखंड में मनाया जाता है। यह त्यौहार फसल कटाई के समय मनाया जाता है और मुख्यतः हरित क्रांति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। हरेला का मुख्य उद्देश्य वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। इस दिन लोग घरों और खेतों में हरेला का पौधा लगाते हैं और इसकी पूजा करके प्राकृतिक समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। हरेला पर्व के दौरान विशेष रूप से खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं और परिवार के सदस्य एकत्र होकर इस त्यौहार की खुशी मनाते हैं।)

हरेली त्यौहार कहाँ मनाया जाता है ?

:- छतीशगढ (हरेली एक प्रमुख त्यौहार है जिसे छत्तीसगढ़ में खासतौर पर मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हरेली का मतलब होता है "हरेल" या "हरा", जो प्राकृतिक हरियाली और फसल की अच्छी उपज का प्रतीक है। इस दिन किसान अपने खेतों और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, जिससे फसल की भरपूर पैदावार और समृद्धि की कामना की जाती है। हरेली के अवसर पर, लोग अपने घरों और खेतों को हरी पत्तियों और फूलों से सजाते हैं और विभिन्न पारंपरिक खेल-खिलौनों का आनंद लेते हैं। यह त्यौहार प्राकृतिक संसाधनों और कृषि के महत्व को मान्यता देता है।)

पोंगल त्यौहार कहाँ मनाया जाता है ?

:- तमिलनाडु (पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्यौहार है जो हर साल जनवरी में मनाया जाता है। यह त्यौहार फसल की कटाई के बाद भगवान सूर्य और कृषि की देवीों की पूजा के रूप में मनाया जाता है। पोंगल विशेष रूप से तमिलनाडु में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसे 'फसल कटाई का त्यौहार' भी कहा जाता है। इस दिन, घरों के आंगन में पोंगल नामक एक विशेष पकवान बनाया जाता है, जो चावल, दाल, और गुड़ से तैयार किया जाता है। यह त्यौहार समृद्धि, खुशहाली और कृषि के महत्व को उजागर करता है।)

सोनपुर मेला कहाँ लगाया जाता है ?

:- बिहार (सोनपुर मेला, जिसे 'सोनपुर का पशु मेला' भी कहा जाता है, बिहार के सोनपुर जिले में हर साल नवंबर और दिसंबर के बीच आयोजित होता है। यह मेला भारत का सबसे बड़ा पशु मेला है और इसमें देश भर से व्यापारी, किसान और पशुपालक शामिल होते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के पशु, जैसे घोड़े, हाथी, ऊंट, और बैल, बिकने के लिए लाए जाते हैं। इस मेले का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्त्व भी है, जिसमें लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह मेला अपनी विविधता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है और स्थानीय परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।)

कलियाट्टम फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- केरल (कलियाट्टम फेस्टिवल केरल के कासरगोड जिले में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक और धार्मिक त्यौहार है। यह त्यौहार विशेष रूप से श्रीपुरम महादेवा मंदिर में हर साल जनवरी या फरवरी के महीने में मनाया जाता है। कलियाट्टम का मतलब 'कली' (नृत्य) और 'आट्टम' (उत्सव) होता है, और इसमें खासतौर पर 'थियारकली' नृत्य की प्रस्तुति की जाती है। यह नृत्य पारंपरिक वेशभूषा में किया जाता है और इसमें स्थानीय देवताओं को सम्मानित किया जाता है। इस त्यौहार की रंगीनता और सांस्कृतिक विविधता इसे एक प्रमुख आकर्षण बनाती है, जो क्षेत्रीय लोगों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती है।)

लोसर फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- लद्दाख (लोसर एक महत्वपूर्ण तिब्बती त्यौहार है, जिसे विशेष रूप से नेपाल और भूटान में मनाया जाता है। यह त्यौहार तिब्बती नववर्ष का प्रतीक होता है और आमतौर पर दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में मनाया जाता है। लोसर के दौरान लोग पारंपरिक संगीत, नृत्य, और पूजा-अर्चना के माध्यम से नए साल की शुरुआत का स्वागत करते हैं। इस अवसर पर तिब्बती समुदाय के लोग अपने घरों को सजाते हैं, खास पकवान बनाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ साझा करते हैं। लोसर का महत्व तिब्बती कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत और सर्दियों के समाप्त होने का प्रतीक है।)

लोसांग फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- सिक्किम (लोसांग फेस्टिवल एक प्रमुख पर्व है जिसे तिब्बती कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से नेपाल, भूटान और भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, जैसे सिक्किम और दार्जिलिंग में मनाया जाता है। लोसांग फेस्टिवल, तिब्बती नववर्ष के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और इसमें धार्मिक अनुष्ठान, पारंपरिक नृत्य, और विशेष भोजन का आयोजन किया जाता है। यह पर्व खुशी, समृद्धि और नए साल की शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और इसमें रंग-बिरंगे परिधान और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं।)

कंचोथ फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्मू कश्मीर

बोनालु पर्व कहाँ मनाया जाता है ?

:- तेलंगाना (बोनालु पर्व तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विशेष त्यौहारों में से एक है, जो विशेष रूप से हैदराबाद और अन्य दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच, श्रावण महीने के दौरान मनाया जाता है। बोनालु पर्व देवी माता की पूजा और उनके प्रति आभार प्रकट करने का अवसर होता है। इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर देवी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करती हैं और विशेष रूप से तैयार की गई पूजा थालियों के साथ पूजा करती हैं। इस पर्व के दौरान रंगीन जुलूस, ढोल-नगाड़े और पारंपरिक नृत्य-संगीत का आयोजन भी होता है, जो इस त्यौहार को और भी जीवंत बनाता है।)

शिग्मो उत्सव् कहाँ मनाया जाता है ?

:- गोवा (शिग्मो पर्व गोवा और कर्नाटका के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार मुख्यतः हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में पड़ता है। शिग्मो का उत्सव मुख्यतः फसल की कटाई के बाद खुशी और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान विभिन्न रंग-बिरंगे परिधान पहनकर लोग नृत्य, संगीत और खेलों में भाग लेते हैं। यह पर्व गोवा की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और क्षेत्रीय लोककला और परंपराओं को प्रकट करता है।)

शिरुई लिली महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- मणिपुर (शिरुई लिली महोत्सव हर साल भारत के मणिपुर राज्य में मनाया जाता है। यह महोत्सव विशेष रूप से शिरुई लिली नामक दुर्लभ और खूबसूरत फूल के खिलने के समय पर आयोजित होता है, जो केवल मणिपुर के शिरुई गांव की पहाड़ियों पर उगता है। इस त्योहार का उद्देश्य स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है। महोत्सव के दौरान, लोग फूलों की रंग-बिरंगी सजावट, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारंपरिक नृत्य का आनंद लेते हैं। यह महोत्सव न केवल प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना करने का अवसर प्रदान करता है बल्कि स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को भी मान्यता देता है।)

बथुकम्मा फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- तेलंगाना (बथुकम्मा फेस्टिवल तेलंगाना राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में बौद्धिक नवरात्रि के दौरान होता है। यह त्यौहार खासकर महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो रंग-बिरंगे फूलों से बनी 'बथुकम्मा' को सजाकर और उसकी पूजा करके उत्सव मनाती हैं। इस दिन महिलाएं पारंपरिक गानों और नृत्यों के साथ खुशी से जश्न मनाती हैं, और यह त्यौहार फसल कटाई और प्राकृतिक सौंदर्य की पूजा का प्रतीक है। बथुकम्मा का आयोजन तेलंगाना की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है और यह स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को संजोए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।)

पांग ल्हाब्सोल फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- सिक्किम (पांग ल्हाब्सोल एक महत्वपूर्ण तिब्बती त्यौहार है जो सिक्किम में मनाया जाता है। यह त्यौहार सिक्किम के भूतपूर्व शासकों और स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा के लिए समर्पित है। इसे 15-16 सितंबर के बीच मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य तिब्बती कैलेंडर के अनुसार साल का अंत और नए साल की शुरुआत की खुशी मनाना होता है। इस दौरान, स्थानीय लोग धार्मिक अनुष्ठान, रंगीन परेड, और सांस्कृतिक नृत्यों के साथ उत्सव की धूमधाम से तैयारी करते हैं, जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है।)

अट्टकल पोंगल महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- केरल

बिहू फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- असम (बिहू फेस्टिवल असम का प्रमुख त्योहार है, जो विशेष रूप से फसल की कटाई के समय मनाया जाता है। यह त्योहार असम की संस्कृति और कृषि परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बिहू मुख्य रूप से तीन प्रमुख रूपों में मनाया जाता है: बीहू, रोंगाली बिहू, और माघ बिहू। रोंगाली बिहू, जिसे भोगाली बिहू भी कहा जाता है, फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है और यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होता है। लोग इस दौरान पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोजनों के साथ उत्सव मनाते हैं। बिहू असम के सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करता है और कृषि कार्यों के समापन पर खुशी का पर्व होता है।)

हॉर्नबिल फेस्टिवल कहाँ मनाते हैं ?

:- नागालैंड ( हॉर्नबिल फेस्टिवल एक प्रमुख सांस्कृतिक त्यौहार है जो हर साल 1 से 10 दिसंबर तक नागालैंड के कोहिमा में मनाया जाता है। इसे 'फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स' भी कहा जाता है, क्योंकि यह नागालैंड की विभिन्न जनजातियों की विविध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का उत्सव है। यह त्यौहार मुख्य रूप से नागा समुदाय की सांस्कृतिक पहचान, उनके पारंपरिक नृत्य, संगीत, कला, और खेलों को दर्शाता है। हॉर्नबिल फेस्टिवल का आयोजन नागालैंड के राज्य दिवस की पूर्व संध्या पर होता है और इसका उद्देश्य स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना, जनजातीय एकता को प्रोत्साहित करना और पर्यटन को बढ़ावा देना है।)

ओणम फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- केरल (ओणम एक प्रमुख त्योहार है जो मुख्यतः केरल राज्य में मनाया जाता है। यह त्योहार महाबली नामक राक्षस के स्वागत के लिए मनाया जाता है, जो अपने भव्य शासनकाल के लिए प्रसिद्ध थे। ओणम का आयोजन चिंगम महीने (अगस्त-सितंबर) के दौरान, विशेष रूप से थिरुवोनम दिन पर होता है। इसे फसल के त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन परंपरागत भोजन, नृत्य, और रंग-बिरंगे फूलों की सजावट की जाती है। ओणम का उत्सव भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह क्षेत्रीय समृद्धि और सौहार्द का प्रतीक है।)

हेरथ फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्मू कश्मीर (हेरथ फेस्टिवल एक महत्वपूर्ण कश्मीरी त्योहार है, जिसे विशेष रूप से कश्मीर के हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार शिवरात्रि के समकक्ष होता है और मुख्यतः माहाशिवरात्रि के बाद मनाया जाता है। हेरथ फेस्टिवल की मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और पार्वती के सम्मान में पूजा की जाती है। इस अवसर पर घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और पारंपरिक मिठाइयों और भोजन का आयोजन होता है। हेरथ का प्रमुख उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव की आराधना और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होता है।)

फूलदेई महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- उत्तराखंड (फूलदेई महोत्सव उत्तराखंड के विशेष पर्वों में से एक है, जिसे खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह त्यौहार माघ महीने की पहली तिथि को मनाया जाता है और यह मुख्य रूप से फूलों और रंग-बिरंगे पौधों की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। फूलदेई के दिन, लोग अपने घरों और गांवों को सुंदर फूलों और पत्तियों से सजाते हैं और भगवान को धन्यवाद अर्पित करते हैं। इस दिन, महिलाएं गांव के हर घर में जाकर फूल और हरे पत्ते लेकर गीत गाती हैं, जो अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के प्रतीक होते हैं। यह त्यौहार सद्भावना, समृद्धि, और प्राकृतिक सौंदर्य की पूजा का प्रतीक है।)

मिंजर फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- हिमचाल प्रदेश (मिंजर फेस्टिवल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में हर साल अगस्त के महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से कुल्लू घाटी की समृद्ध फसल, किसानों की मेहनत, और स्थानीय संस्कृति का जश्न है। मिंजर फेस्टिवल की शुरुआत मिंजर (मक्का की बालियों) के त्योहार से होती है, जो नई फसल की स्वीकृति और समृद्धि का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर, नृत्य और संगीत का आयोजन करते हैं, और रथयात्रा के माध्यम से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। यह त्यौहार सामुदायिक भाईचारे और खुशहाली की भावना को भी बढ़ावा देता है।)

गुड़ी पड़वा कहाँ मनाया जाता है ?

:- महाराष्ट्र (गुड़ी पड़वा एक प्रमुख भारतीय त्यौहार है, जिसे खासतौर पर महाराष्ट्र और कर्नाटका में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को आता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल के आसपास पड़ता है। गुड़ी पड़वा का मुख्य उद्देश्य नए साल की शुरुआत को मान्यता देना है। इस दिन को 'सालविवाह' भी कहते हैं और इसे खुशी, समृद्धि, और सफलता के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों के बाहर रंग-बिरंगे झंडे (गुड़ी) लगाते हैं, मीठे पकवान बनाते हैं, और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। गुड़ी पड़वा को हर वर्ष नए उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, जो जीवन में नए शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है।)

खजुराहो नृत्य महोत्सव कहाँ मानते हैं ?

:- मध्यप्रदेश (खजुराहो नृत्य महोत्सव हर साल मध्यप्रदेश के खजुराहो में आयोजित किया जाता है, और यह भारतीय नृत्य कला का एक प्रमुख उत्सव है। यह महोत्सव खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। यहाँ पर विभिन्न शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी, और कथकली के अद्भुत प्रदर्शन होते हैं। इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय नृत्य की पारंपरिक विधाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है, साथ ही यह विश्वभर के कला प्रेमियों और पर्यटकों को भारतीय सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है।)

नवरेह फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- जम्मू कश्मीर (नवरेह कश्मीर का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हर साल मार्च में मनाया जाता है। यह कश्मीरी पंडितों द्वारा नए साल के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है और इसे कश्मीरी नववर्ष भी कहते हैं। नवरेह का मतलब है 'नव वर्ष', और यह त्यौहार वसंत के आगमन, नई फसल की बुआई, और प्रकृति के नए जीवन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं, और पारंपरिक भोजन तैयार करते हैं। नवरेह पर विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं, जो इस त्यौहार की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को दर्शाते हैं)

मांडू महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- मध्यप्रदेश (मांडू महोत्सव मध्य प्रदेश के मांडू में हर साल मनाया जाता है। यह महोत्सव ऐतिहासिक धरोहर, संस्कृति और कला के संगम का प्रतीक है, जिसमें लोक नृत्य, संगीत, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। मांडू महोत्सव का आयोजन नवंबर से दिसंबर के बीच किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य मांडू की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना है। इस महोत्सव के दौरान पर्यटक मांडू के खूबसूरत किलों, महलों, और ऐतिहासिक स्थलों का आनंद ले सकते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं।)

लाई हरोबा फेस्टिवल कहाँ मनाते हैं ?

:- मणिपुर (लाई हरोबा महोत्सव एक महत्वपूर्ण आदिवासी त्यौहार है जो मणिपुर राज्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार मणिपुरी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और अगस्त या सितंबर में मनाया जाता है। लाई हरोबा की शुरुआत पारंपरिक खेलों और नृत्यों के साथ होती है, जिसमें गांववाले फूलों और पत्तियों से सजावट करते हैं और समुदायिक भोज का आयोजन करते हैं। यह त्यौहार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है, जो समाज की एकता और सामूहिक खुशी को प्रोत्साहित करता है। लाई हरोबा आदिवासी जीवन की सुरक्षा और सुख-समृद्धि के लिए भी प्रार्थना का अवसर प्रदान करता है।)

थाई पुसम फेस्टिवल कहाँ मनाया जाता है ?

:- तमिलनाडु (थाई पुसम एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो विशेष रूप से तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल मकर संक्रांति के समय, जनवरी या फरवरी में, मनाया जाता है। थाई पुसम मुख्यतः भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा के लिए समर्पित है, जो युद्ध और विजय के देवता माने जाते हैं। इस दिन भक्त विभिन्न प्रकार की धार्मिक रस्में, जैसे कावाड़ी (भक्ति की क्रिया), करते हैं। यह त्यौहार भगवान मुरुगन के माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रति समर्पण और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार श्रद्धा, तपस्या और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें भक्त अपनी भक्ति और विश्वास को दिखाते हैं।)

उगादी पर्व कहाँ मनाया जाता है ?

:- कर्णाटक (उगादी पर्व, जिसे दक्षिण भारत में विशेषकर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनाया जाता है, नववर्ष का स्वागत करने का पर्व है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च या अप्रैल के आसपास आता है। उगादी का मुख्य उद्देश्य नए साल की शुरुआत की खुशी मनाना और पुरानी समस्याओं को भुलाकर नए वर्ष के लिए अच्छे संकल्प लेना है। इस दिन घरों में विशेष पकवान जैसे उगादी पद्धु (उगादी की विशेष मिठाई) तैयार की जाती है और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व खुशहाली और समृद्धि की कामना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।)

खासी महोत्सव कहाँ मनाया जाता है ?

:- मेघालय (खासी महोत्सव भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेषकर मेघालय में मनाया जाता है। यह त्यौहार खासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव कृषि, संगीत, नृत्य और पारंपरिक खेलों के माध्यम से खुशियों और समृद्धि का प्रतीक होता है। खासी महोत्सव के दौरान लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजते हैं, लोकगीत गाते हैं और स्थानीय वेशभूषा में नृत्य करते हैं, जिससे समुदाय की एकता और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा मिलता है।)

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